Sunday, December 13, 2009

आधुनिक लखनऊ के परिकल्पकः वी0आर0 मोहन


भारत में बहुत से उद्योगपति हुए हैं और हैं लेकिन वेद रत्न मोहन ऐसे उद्योगपति थे जो सामाजिक दायित्व के संदर्भ में अपने उद्योग को विकसित करना चाहते थे। लखनऊ से उनका प्रेम जग-जाहिर है लखनऊ प्रवास के दौरान शहर के सौन्दर्यीकरण में किए गए उनके प्रयासों व सहायोग को लोग कभी भुला नहीं पाएंगे।

वी. आर. मोहन को जन्म 30 जुलाई, 1925 पश्चमी पाकिस्तानी के जिले रावलपिंडी में एक सफल व्यवसायी व उद्योगपति नरेन्द्र नाथ मोहन (मोहन मीकिन लिमिटेड के आधुनिक निर्माता व संस्थापक) के घर हुआ था। बालक वेद वास्तव में ही रत्न थे। प्रतिभावान वेद ने स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद 1945 में ग्रेजुएशन   पंजाब विश्वविद्यालय से व एम.ए. 1947 में दिल्ली विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण किया। आगे कि पढ़ाई के लिए वह कई वर्षों विदेशों में रहे। विदेश से भारत लौटने के बाद वह अपने पिता एन. एन. मोहन के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगे। उद्योग को बढ़ाने व विकास के लिए जब 1950 में नरेन्द्र नाथ मोहन लखनऊ आए तो वेद रत्न उनके साथ थे। नौजवान वेद के लखनऊ की आबोहवा ऐसी पसंद आई की वे सदा के लिए यही के बाशिंदे होकर रह गये। थोड़े ही समय में अपनी कर्मठता, ईमानदारी और विवके बुद्धि के बल पर अपने लिए महत्वपूर्ण स्थान बना लिया। साहित्य व कलाकारों के पारखी हाने के साथ दानवीरता में भी वेद किसी से पीछे नहीं थे। गरीब बच्चों को कपड़ा, शिक्षा, भोजन, निर्धन कन्याओं की शादी, बेसहारों-बेघरों की यथा संभव मदद युवा प्रतिभाओं के सम्मान ने उन्हें सबकी नजर का रत्न बना दिया था वो सही शब्दों में सच्चे समाज सेवक थे।

डालीगंज स्थित अग्रणी शराब की फैक्टरी उन्हीं के प्रयासों से देश-विदेश में विख्यात थी। लोग लखनऊ को मोहन मीकिन के कारण की पहचानते थे। दोनों एक-दूसरे के पूरक बन चुके थे। अपने समय के अग्रणी व सफलतम उद्योगपतियों में लखनऊ के वी. आर. का स्थान था जो सारे लखनऊ के लिए गर्व का विषय था। उनकी समाज सेवा ने ही उन्हें लखनऊ का उप महापौर व उसके बाद मेयर बनाया।

वह पूरे तीन वर्ष नौ महीने तक महापालिका के उपनगर प्रमुख, नगरप्रमुख तथा विशिष्ट सदस्य रहे। के. डी. सिंह बाबू स्टेडियम के सामने स्थित लक्ष्मण पार्क, ग्लोब पार्क (बेगम हजरत महल पार्क के बगल में) तथा अनेक फव्वारे आदि भी उनके कार्यकाल में लगे। लखनपुरी वासियों को ग्लोब पार्क का नायाब तोहफा वी.आर. मोहन ने 1965 में दिया था जो खासकर स्कूली बच्चें के लिए उन्होने बनवाया था। ग्लोब पार्क का मुख्य आकर्षण पार्क के बीचो-बीच एक विशालकाय सीमेंट का बना ग्लोब है, जिसकी ऊंचाई लगभग 40 फीट है तथा वजन 20 टन है। ग्लोब का व्यास 21 फिट है। ग्लोब पर लगे अर्धवृत्ताकार आर्क पर ज्योतिष से संबंधित 12 राषियां मेष, कुंभ आदि अंकित है। मनोरंजन के साथ शिक्षा स्कूली बच्चे पाते है। लक्ष्मण पार्क में वीरवर लक्ष्मण जी की प्रतिमा स्थापित कर उन्होने नगर को सांस्कृतिक प्रतिष्ठा प्रदान की, इसी प्रकार सैनिक स्कूल में गुरू द्रोणचार्य की और लालबाग चौक पर लोक मान्य तिलक की प्रतिमा स्थापित कराकर उन्होंने सैनिक जीवन और लोक जीवन के लिए अपेक्षित आदर्श प्रस्तुत किए। लखनऊ नगर निगम के आखिरी ऊपरी तल पर स्थित सभागार भी उनके मेयर के कार्यकाल के दौरान बना था, वहीं स्थानीय व्यवसायियों के आग्रह पर उन्होंने अमीनाबाद बाजार में मोहन मार्केट बनवाई थी।

लखनऊ विश्वविद्यालय व सरोजनी नगर स्थित सैनिक स्कूल के निर्माण व सुन्दरीकरण में वी0आर0 का योगदान स्मरणीय है। 1962-67 की अवधि के दौरान वह उ.प्र. विधान परिषद के सदस्य मनोनीत किए गए। अप्रैल 1972 में वह संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा के द्विवार्षिक चुनावों में उ.प्र. से चुने गये। देश  प्रेम व सैनिकों के प्रति श्रद्धा, सेना की सेवा को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने सन् 1966 में उन्हें कर्नल के पद पर प्रतिष्ठित किया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा का सम्मान करते हुए भारत के राष्ट्रपति द्वारा 1967 में पद्मश्री व 1971 में पद्म भूषण उन्होंने प्राप्त किया।

मृदुभाषी व्यवहार कुषल प्रगतिशाली विचारधारा के स्वामी पद्मभूषण कर्नल वेद रत्न मोहन अनेक सामाजिक संगठनों व संस्थाओं से जुड़े हुए थे। लखनऊ की ड्रीम लैंड बनाने का सपना उनके मन में था लेकिन समय के क्रूर हाथों ने 28 जनवरी 1974 को प्रतिभावान वेद रत्न को हमसे दूर कर दिया। सही मायनों मे वी.आर. मोहन आधुनिक लखनऊ के निर्माताओं में से एक थे। अगर आज वह जीवित होते तो लखनपुरी का गौरव चारों दिशाओं में और फैलता।

2 comments:

  1. kripya lucknow se jude aur lekh prakashit kare

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  2. मृदुभाषी व्यवहार कुषल प्रगतिशाली विचारधारा के स्वामी पद्मभूषण कर्नल वेद रत्न मोहन अनेक सामाजिक संगठनों व संस्थाओं से जुड़े हुए थे। लखनऊ की ड्रीम लैंड बनाने का सपना उनके मन में था लेकिन समय के क्रूर हाथों ने 28 जनवरी 1974 को प्रतिभावान वेद रत्न को हमसे दूर कर दिया। सही मायनों मे वी.आर. मोहन आधुनिक लखनऊ के निर्माताओं में से एक थे। अगर आज वह जीवित होते तो लखनपुरी का गौरव चारों दिशाओं में और फैलता।

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