Wednesday, July 20, 2011

कांग्रेस आलाकमान के माउथ पीस हैं दिग्विजय

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की बैटरी इन दिनों फुल चार्ज है। अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर दिग्विजय कांग्रेस में फिलहाल वहीं भूमिका निभा रहे हैं जो किसी जमाने में अमर सिंह सपा में निभाया करते थे। पूरे एक दशक तक मध्य प्रदेश पर राज करने वाले दिग्गी को धीर, गंभीर स्वभाव और कार्य कुशल नेता समझा जाता है। हिन्दी पट्टी के राज्यों में दिग्गी की अच्छी पकड़ और मान-सम्मान है। यूपी में राहुल के मिशन 2012 को सफल बनाने की मुहिम में जुटे दिग्विजय अपनी छवि और कद भूलकर विवादित बयानबाजी और सड़कछाप हरकतों पर आमादा हैं। सोनिया और राहुल के मुंहलगे दिग्गी कांग्रेस आलाकमान का माउथ पीस बनकर एक सधे हुये तीरअंदाज की भांति चुनावी निशाना साधने में लगे हैं। ऐसे में कभी उनके निशाना पर बाबा रामदेव, कभी अन्ना हजारे और अक्सर आरएसएस आ जाती है। हालिया मुंबई धमाकों में हिंदु संगठनों पर निशाना साधकर दिग्गी एक बार फिर विवादों में घिरे है लेकिन इन सब से बेफ्रिक दिग्गी भोपाल में भाजयुमो के कार्यकर्ताओं के साथ सड़क छाप गुण्डों की भांति हाथा पायी करने पर गर्व महसूस कर रहे हैं। किसी जमाने में धीर-गंभीर दिग्गी की गिनती आज जोकरों और मानसिक रूप से दिवालिये नेता के रूप में होने लगी है। पता नहीं किस स्वार्थवष दिग्गी खुद अपनी छवि धूमिल करने को उतारू हैं। माले गांव बम विस्फोट, 26/11 के मुंबई हमले से ठीक पहले एटीएस चीफ हेंमत करकरे से बातचीत का खुलासा, लादेन के बारे में सम्मानजनक टिप्पणी, बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के खिलाफ तीखी आलोचना एंव धमकी और मुंबई में हालिया सीरियल बम विस्फोट के लिए हिंदु संगठनों के खिलाफ बोलने तक का दिग्गी राजा ने जब-जब अपना मुंह खोला एक नये विवाद को जन्म दिया। दिग्गी किसकी वाणी बोल रहे हैं और वो ऐसा क्यों बोल रहे हैं वो देश के आम आदमी को भी अब समझ आ चुका है।

गौरतलब है कि दिग्गी को यूपी में कांग्रेस को पुर्नजीवित करने की अहम् जिम्मेदारी कांग्रेस आलाकमान ने सौंपी थी उस समय यूपी में कांग्रेस को कोई पुरसाहाल नहीं था। राजनीतिक बनवास भोग रही कांग्रेस को मेन स्ट्रीम में लाने और सुर्खियों में बने रहने के लिए विवादित बयानबाजी का आसान और घटिया रास्ता दिविजय ने अपनाया और काफी हद तक वो इसमें कामयाब भी रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने इसमें दिग्गी का बखूबी साथ निभाया और मायावती और बसपा सरकार को निशाने पर रखकर उन्होंने भी विवादित बयानों का रिकार्ड स्थापित किया। जब दिग्गी को ये अहसास होने लगा कि मीडिया और विपक्षी दल उनके बयानों को तवज्जों दे रहे हैं तो उन्होंने अपने बयानों की विवादों की चाशनी में ओर डुबोना शुरू कर दिया। आज यूपी में कांग्रेस अपना परंपरागत वोट बैंक वापिस पाने को बेताब है ऐसे में दिग्विजय सिंह चुनावी रणनीति और कार्ययोजना के तहत ही सूबे के अल्पसंख्यक, दलित और पिछड़ी जातियों की सहानुभूति और वोट बैंक को ध्यान में रखकर जानबूझ कर विवादित बयानबाजी कांग्रेस आलाकमान की षै पर कर रहे हैं। कांग्रेस का निषाना सूबे का मुस्लिम वोट बैंक है जो आज राजनीतिकं दोराहे पर खड़ा है। कांग्रेस को लगता है कि हिंदु संगठनों की निंदा और हिदु आंतकवाद को प्रचारित और स्थापित करके वो मुस्लिम वोट पाने में कामयाब हो जाएगी और दिग्विजय इसी थ्योरी पर काम कर रहे हैं। दुर्दांत आंतकवादी ओसाम बिन लादेन को ‘लादेन जी’ और आजमगढ़ जिले के संजरपुर जाकर कट्टरपंथियों को सहलाना-फुसलाना कांग्रेस की चुनावी फिल्म का ही हिस्सा था।

कांग्रेस आलाकमान को लगता है कि यूपी में उन्हें अपनी खोई हुयी जमीन तभी वापिस मिल पाएगी जब उनका परंपरागत वोट बैंक उनके झण्डे के तले आ जाएगा। गौरतलब है कि मुस्लिम, दलित और पिछड़ी जातिया बरसों-बरस तक कांग्रेस का मजबूत और पक्का वोट बैंक रही हैं। माया की बसपा और मुलायम की सपा ने कांग्रेस के मजबूत किले में सेंध लगाकर उसे कुर्सी की दौड़ से बाहर ही कर दिया था। पिछले आम चुनावों में कांग्रेस को मिली सफलता से उत्साहित होकर कांग्रेस आलाकमान खासकर राहुल ने अपना सारा ध्यान यूपी में लगा रखा है। जिस तरह से राहुल और उनके विश्वस्त मंत्री और नेता यूपी में सक्रिय हैं वो राहुल के मिषन 2012 का ही हिस्सा है। इसी कड़ी में दिग्विजय सिंह राहुल और सोनिया गांधी का माउथपीस बनकर वो सब कुछ अपनी जुबान से उगल रहे हैं जिसकी रचना कांग्रेस के रणनीतिकारों ने यूपी के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर रची है। विवाद बढ़ने और मीडिया के ष्षोर मचाने पर कांग्रेस खुद को दिग्विजय के बयान से अलग कर तो लेती है लेकिन उसे जो कहना होता है वो दिग्विजय के जरिये कहलवाकर मुस्लिमों, दलितों, अल्पसंख्यकों को कदम-कदम पर ये जता देती है कि कांग्रेस ही आपके हक और हकूक के लिए लड़ने वाली अकेली पार्टी है।

देष की सुरक्षा और दूसरे अहम मसलों पर विवादित बयान देकर अगर दिग्गी ये सोचते हैं कि उन्हें राहुल और सोनिया का आषीर्वाद मिलता रहेगा तो वो भयंकर भूल कर रहे हैं क्योंकि राजनीति में रिषतों से अधिक जरूरत का महत्व होता है आज कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक को वापिस पाने का बैचेन है उसके लिए उसे दिग्गी जैसे सिरफिरे नेता की जरूरत है और जब जरूरत पूरी हो जाएगी उस दिन दिग्गी को दूध में से मक्खी की तरह बाहर कर दिया जाएगा। हो सकता है ये बात आज दिग्गी को समझ न आए लेकिन इतिहास में दिग्गी जैसे महानुभावों के कई किस्से दर्ज हैं शायद दिग्गी के पास उन किस्सों को पढ़ने की फुर्सत नहीं है। जनता भी कांग्रेस और दिग्विजय के इरादे का बखूबी समझती है सोनिया-राहुल के अंधभक्त और माउथपीस दिग्गी राजा अपनी छवि को खुद ही मिटाने पर उतारू हैं, भगवान उन्हें सदबुद्वि दे।

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